Monday 19 September 2016
Thursday 15 September 2016
Monday 12 September 2016
("Sbnm") इक नदी थी दोनों किनारे थाम के बहती थी इक नदी थी कोई किनारा छोड़ न सकती थी इक नदी थी तोड़ती तो सैलाब आ जाता करवट ले तो सारी ज़मी बह जाती एक नदी थी आज़ाद थी जब झरने की तरह चट्टानों पे बहती थी इक नदी थी दिल एक ज़ालिम हाक़ीम था वो उसकी जंजीरो में रहती थी इक नदी थी इक नदी थी दोनों किनारे थाम के बहती थी इक नदी थी कोई किनारा छोड़ न सकती थी इक नदी थी...
Saturday 10 September 2016
Friday 9 September 2016
इक नदी थी दोनों किनारे थाम के बहती थी इक नदी थी कोई किनारा छोड़ न सकती थी इक नदी थी तोड़ती तो सैलाब आ जाता करवट ले तो सारी ज़मी बह जाती एक नदी थी आज़ाद थी जब झरने की तरह चट्टानों पे बहती थी इक नदी थी दिल एक ज़ालिम हाक़ीम था वो उसकी जंजीरो में रहती थी इक नदी थी इक नदी थी दोनों किनारे थाम के बहती थी इक नदी थी कोई किनारा छोड़ न सकती थी इक नदी थी... #गुलज़ार साहब
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